आवाज डेस्क | मैथिली साहित्य महासभा अर्थात् मैसाम विश्व मातृभाषा दिवसक अवसर पर दसम वार्षिक संगोष्ठी यैह बुधदिन अर्थात् 21 फरवरी केँ केंद्रीय राजधानी दिल्ली स्थित कंस्टीट्यूशन क्लबक डिप्टी स्पीकर हाॅल मे संपन्न भेल। संगोष्ठीक विषय ‘आरसी प्रसाद सिंह : व्यक्तित्व आ कृतित्व’ छल।
एहि कार्यक्रमक शुरुआत मे मैसामक नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल झा उपस्थित जनसमूह केँ संबोधित करैत मैसामक भविष्यक कार्य योजना प्रस्तुत कयलनि। अपन उद्बोधन मे सभागार मे उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार, विद्वतजन आ प्रबुद्ध श्रोताक सहभागिता लेल आभार प्रकट करैत ओ मैसामक उद्देश्य आ विगत नौ बरखक उपलब्धि केँ उल्लेख केलनि। एहि क्रम मे ओ मैसामक वेबसाइट केँ लोकार्पण संग वरिष्ठ साहित्यकारक लेल एक गोट नव पुरस्कार “लाइफ टाइम एचीवमेंट” आगूक बरख सँ प्रारम्भ करबाक घोषणा केलनि। अपन वक्तव्य मे मैसाम केँ दसम बरख पूर्ण होमय पर दिल्ली मे भव्य कार्यक्रम करबाक योजनाक सेहो सूचना देलनि। संगहि ओ कहलनि जे शीघ्र नवसदस्य सभ केँ जोड़ि मैैसामक सदस्यक संख्या पचास धरि कएल जायत।
एहि सँ पहिने कार्यक्रमक प्रारम्भ अतिथि लोकनिक द्वीप प्रजव्वलन आ श्रीमती सोनी चौधरी, श्रीमती सुधा ठाकुर, श्रीमती निशा झा इत्यादिक द्वारा गोसाऊनिक गीत सँ कयल गेल। तकरा बाद आमंत्रित वक्ता लोकनि विषय पर अपन बात रखलनि। जाहि क्रम मे युवा लेखक उज्ज्वल कुमार झा कहलनि जे आधुनिक मैथिली साहित्य के एकटा चमकैत सितारा छलथि कवि श्री आरसी प्रसाद सिंह। हिनक जन्म समस्तीपुर जिलाक एरौत गाम मे जन्माष्टमीक दिन 19 अगस्त 1911 ई. मे भेल छलनि आ देहावसान 15 नवंबर 1996 के भेल। स्वाध्यायक बल पर ई विपुल ज्ञान अर्जित कयलनि। कवित्व शक्ति हिनका मे जन्मजात छलनि, ई वस्तुतः भारतीय साहित्यक निर्माता छलाह, मैथिली आ हिन्दी मे हिनका द्वारा रचित साहित्य संसार अनन्त काल धरि अगिला पीढ़ी केँ प्रेरणा प्रदान करैत रहत। ई जीवन पर्यन्त साहित्य साधना मे लागल रहलाह। हिनक कविता मे मुख्यरूप सँ प्रकृति प्रेम भेटैत अछि। मानवतावाद ओ राष्ट्रवाद, मातृभाषा प्रेम, आध्यात्मिक गौरव बोध आदि विषय समाग्री पर आरसी प्रसाद जी खूब लिखलनि। मैथिली आ हिन्दी मे हिनक प्रकाशित रचना लगभग सत्तरि गोट छनि आ कतेको अप्रकाशित कृति सेहो छनि। हिनक प्रकृति प्रेम परक कविता विभिन्न फूलक नाम सँ लिखल गेल अछि, ई कविता जतबे माधुर्य आ कोमल अछि ओतबे जीवनक दर्शनक प्रेरणा सेहो दैत अछि। हिनक बहुमूल्य रचना सूर्यमुखी कविता संग्रह, जाहि मे मैथिली साहित्यक विभिन्न भाव धारा भरल अछि, कतहु सँ देश प्रेमक भवना भेटैत अछि तँ कतहु प्रकृति प्रेम आ मिथिलाक माँटि-पानिक सुगन्ध, एहि कविता संग्रह पर श्री आरसी प्रसाद सिंह जी केँ साहित्य अकादमी पुरस्कार सँ सम्मानित कयल गेल छलनि। ओ आगू कहलनि जे आरसी प्रसाद सिंह जी प्रारंभ मे हिन्दिये मे लिखैत छलाह, जाहि मे मुख्य रूप सँ कविता, प्रबंध काव्य, गीत कहानी, बाल कहानी आ समीक्षा लिखलनि अछि। बाद मे ओ श्री भुवनेश्वर सिंह भुवन जी के प्रेरणा सँ मैथिली मे लिखब प्रारंभ कयलनि जाहि मे मुख्य अछि माटिक द्वीप, पूजाक फूल, मेधदूत आ सूर्यमुखी। अपन रचना मे श्री आरसी प्रसाद जी तत्कालीन समस्या सभक संगहि मानवीय संवेदना केँ अति सूक्ष्म पर्यवेक्षण कयलनि। मिथिला प्रदेश आ मैथिली भाषाक प्रति हुनक प्रेम एवं सम्मान हुनक कविता सभ मे परिलक्षित होइत अछि। अपन रचना मे श्री आरसी प्रसाद सिंह जी प्रकृतिक सुषमाक संगहि ओकर विद्रूपता एवं प्रलयकारी रूपक चित्र चिताकर्षक रूप मे कयलनि। हिनक भाषा मे एक दिस ओज भरल अछि त’ दोसर दिस मानवीय भवनाक उद्गार, युवा शक्ति पर हिनका अखण्ड विश्वास छनि। मैथिली साहित्य मे प्रगतिवादक सम्वाहक रूप मे कवि आरसी प्रसादक महत्वपूर्ण स्थान अछि। हिनका सुर्यमुखी कविता संग्रह पर 1984 ई. मे साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल छलनि।
ओतहि दोसर वक्ता प्रो. राजीव वर्मा कहलनि जे आरसी प्रसाद सिंह आ हुनक विस्तृत लेखन के बुझबाक लेल हिनक दुनु भाषा मे कयल रचना केँ पढ़य पड़त। स्वतंत्रता सँ पूर्व आ स्वतंत्रताक बाद हुनका लेखन मे भिन्नता छनि। ओ एहि सँ आगू कहलनि जे हिनक पहिल कविता “शेफालिका” पर हुनक मायक नाम शेफालिका पड़लनि। आरसी प्रसाद सिंह अबाध रूपें साहित्य सृजन जीवन भरि केलनि। आरसी प्रसाद सिंह स्वाभिमानी व्यक्तित्व लोक छलथि, कतेको नौकरी ओ एहि लेल छोड़लनि। आरसी प्रसाद सिंह तंत्र साधना, अध्यात्म आ व्यक्तिवाद पर रचना कयलनि। हिन्दीक वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह कहब छलनि जे आरसी प्रसाद रोमांटिक सँ आध्यात्म दिस उन्मुख भेला। एकर अतिरिक्त अपन बात रखैत प्रो. वर्मा बहुरूपिया कविता पर सेहो प्रकाश देलनि।
तहिना कार्यक्रम केँ संबोधित करैत वंदना झा कहलीह जे कलिदासक विशेष रचना संस्कृत मे लिखलनि मुदा बाद मे ओ अपभ्रंश मे सेेहो लिखलनि। ओ मैथिली भाषा के विशिष्टता आ विभिन्नता (टर्मोलोजी) के बात ओ कहली। वंदना जी कहलनि जे अपन भाषा मे कॉन्फिडेंट होइत अछि। अवसर पर ओ आरसी प्रसादक एकटा कविता ‘मेघ पड़ै छैक’ ओ गाबि क’ सुनौलनि। संगहि ओ कहलीह जे ई कविता हुनक माँ गाबैत छलखिन। ओ कहलीह जे मायक स्मृति मातृभाषाक स्मृति करबैत अछि। ओ अपन वक्तव्य मे मातृभाषाक महत्व पर जोड़ देलनि। आरसी प्रसाद हिन्दी सँ मैथिली लेखन मे अयला ई जानब महत्वपूर्ण अछि।
जनतब दी जे एहि विचार गोष्ठीक मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार आ बहुभाषाविद सुभाष चन्द्र यादव छलाह। जे अपन उद्बोधन मे कहलनि जे आरसी बाबू रोमांटिक कवि आ प्रेरक व्यक्तित्व छलाह। आरसी बाबू दिव्य स्वरूप आ आकर्षक व्यक्तित्वक स्वामी छलाह। एखन धरि हुनका साहित्य जगत मे ओ सम्मान नहि भेटि सकलनि जकर ओ अधिकारी छलाह।
त’ कार्यक्रमक अध्यक्षता करैत मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राम नरेश विकल अपन अध्यक्षीय उद्बोधन मे जोड़ दैत कहलनि जे आरसी प्रसाद सिंहक नाम राम चन्द्र प्रसाद सिंह वा रमेश चन्द्र प्रसाद सिंह नहि छलनि, हुनक नाम आरसी प्रसाद सिंह छलनि। आरसी केर अर्थ होइछ दर्पण तैँ नामक सार्थकता त’ छैके। आरसी प्रसाद सिंह 2 अक्टूबर 1936 सँ मैथिली मे लिखय लगलाह। ओ माँ भगवती केँ समर्पित कयने छलखिन अपन पोथी माटिक दीप आ पूजाक फूल। ओ कथा सेहो लिखलनि। हुनक 56 गोट कथा विभिन्न पत्रिका मे प्रकाशित अछि। जयपुर केर राजा राजकवि रूप मे हिनका आमन्त्रित केलनि, मुदा ओ ई प्रस्ताव अस्वीकार क’ देलनि। आरसी जीक सम्म्मान मे हिनक गाम ऐरौतक नाम आरसी नगर राखल गेल अछि।
कार्यक्रमक संचालन मैैसामक उपाध्यक्ष हेमन्त झा कयलनि आ ओ अपन बात रखैत कहलनि जे आरसी प्रसाद सिंह रोमांटिक रचनाकार छलथि। ओ जीवन आ यौवनक कवि कहबैत छलाह।
एहि सँ पहिने मने कार्यक्रमक मध्य मे मैसामक अर्धवार्षिक पत्रिकाक चारिम अंक ‘अपूर्वा’, जकर संपादन संजीव सिन्हा आ उज्ज्वल झा संयुक्त रुप सँ कयने छथि, तकर लोकार्पण भेल। अवसर पर सभागार मे मैसामक कार्यकारणी आ पदाधिकारीगणक अतिरिक्त अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित छलाह। जाहि मे मैसामक पूर्व अध्यक्ष सुनीत ठाकुर, उपाध्यक्ष सुबोध झा, टी. एन. झा, संजीव सिन्हा, हेमंत झा, मनोज झा महासचिव केशव झा, कोषाध्यक्ष आशीष नीरज, सचिव अरुण कुमार मिश्र, सूर्य नारायण यादव, पंकज झा कार्यालय सचिव आनन्द दास, कार्यकारणी सदस्य अखिलेश मिश्र, रीता ठाकूर, बानी झा बबली, निशा झा इत्यादि प्रमुख छलथि। तहिना दर्शक आ श्रोता वर्ग मे साहित्यकार डाॅ. आभा झा, मणिकांत झा, डाऍ. विभय झा, योगगुरु काजल चौधरी, प्रभाकर मिश्र, रमेशचंद्र झा, रामबाबू सिंह, बलदेव झा, हरिमोहन झा, असीम कुमार झा, आभा झा, रीना झा इत्यादिक गरिमामयी उपस्थिति छलनि।
कार्यक्रमक अंत मे मैसामक सचिव सूर्य नारायण यादव धन्यवाद ज्ञापन कयने छलाह।