5 मई कें रिलीज भेल अछि मैथिली फिल्म ‘जैक्शन हाल्ट’| कतेको अर्थ मे नीक अछि मैथिलीक ई बहुप्रतीक्षित फिल्म| एकरा bejod.in वा एकर एप्प पर देखल जा सकैत अछि| निर्देशक छथि नितिन चंद्रा आ लगभग 35 गोटे छथि निर्माता, जाहि मे प्रसिद्ध अभिनेत्री नीतू चंद्रा प्रमुख छथि| दिल्ली मे एकर प्रीमियर फिल्म डिविजनक हॉल मे भेल, जाहि मे लगभग हॉल भरल रहल|
फिल्म कतेको स्तर पर काज केलक अछि| जेना की ई मैथिलीक पहिल थ्रिलर फिल्म अछि| एखन तक मैथिलीक सिनेमा मे पात्रक बहुतायत रहैत छल मुदा एहि मे सिमित पात्र राखल गेल अछि| मनोवैज्ञानिक विषय पर बनल ई लगभग पहिल मैथिली फिल्म अछि| हालांकि निर्देशक एक संगे दू टा गंभीर आ अंतर्राष्ट्रीय विषय कें छूने छथि, मनोवैज्ञानिक ग्रंथि आ समलैंगिकता| फिल्म पहिल विषय संगे न्याय करैत अछि मुदा दोसर झूस लगैत अछि देखबा काल| हमरा जनैत यदि समलैंगिकता नहियों छुअल गेल रहैत त’ फ़िल्मक स्वास्थ्य पर कोनो खास असरि नहि पड़ैत|
फिल्मक कथा शुरू होइत अछि दरभंगा एयरपोर्ट पर हीरोक अबैया सं| फेर ओतय सं हीरो स्थानीय कैब सर्विस बुक करैत अछि| आ उतरैत काल कहैत अछि जे ‘अहाँक सर्विस बहुत नीक अछि| जकरा ई मानल जा सकैत अछि जे फिल्मक माध्यम सं निर्देशक मिथिलाक रोजगार मने जे उद्यमिताक हेतु सन्देश दैत छथि| जनतब होयत जे मिथिला मे कोनो रोजगारक खास अवसर नहि अछि एना मे एकटा फिल्म मेकरक ई पहल स्वागत योग्य अछि| तहिना एकठाम एकटा पुस्तक केंद्रक स्टिकर पोथी पर साटल अबैत अछि जाहि सं सेहो ई बात प्रमाणित होइत अछि| फेर फिल्म आगू बढैत अछि आ हीरो गाम पहुँचैत अछि| गाम मे काकी आ छोट भाइ रहय छथि| पारंपरिक गपशप बढैत अछि, लेन-देन होइत अछि आ हीरो विदा होइत अछि मधुबनी सं दिल्लीक ट्रेन पकड़य| एतय निर्देशक बहुत महिनी सं एकटा बात कहैत छथि जे मिथिला मे एखनो ट्रेनक बहुत अभाव अछि कियैक त’ दिल्लीक हेतु एखनो एक्के टा ट्रेन अछि| सरकार आ व्यवस्था सं एतेक महिनी सं अपन बात कहब निर्देशकीय कौशलक नीक उदाहरण अछि| हालांकि एतय हम श्रेष्ट उदाहरण कहय चाहैत रही मुदा हमरा लोकनिक ई चरित्र अछि जे कोनो भी शब्दक सुपरलेटिभ डिग्री प्रयोग करब जे की हमरा जनैत उचित नहि अछि आ खतरनाक चलनसारि अछि से एकटा फराक गप थिक|
फेर खिस्सा आगू बढैत अछि आ हीरो मधुबनी नहि जा क’ ‘जैक्शन हाल्ट’ सं ट्रेन पकड़बाक निर्णय लैत अछि, वैह ‘जैक्शन हाल्ट’ जकर भयावहताक खिस्सा हीरोक भाइ पहिने कहने रहैत छथि मुदा तैयो ओ ट्रेन पकड़बाक हेतु पहुँचि जाइत छथि ‘हाल्ट’ पर| आब एतय सं फिल्म अपन मुख्य काया मे प्रवेश करैत अछि| ‘जैक्शन हाल्ट’ पर स्टेशन मास्टर छथि, हुनक एकमात्र रूम छनि आ हीरोक अतिरिक्त मात्र एकटा मुख्य पात्र अछि, हेल्फर| असल मे यैह तीनू पात्र आ ओ स्टेशन मास्टरक रूम लगभग 80% फिल्म मे देखाइत अछि| मोटामोटी ई कहल जा सकैछ जे फिल्म मुख्य रूप सं तीन टा पात्रक आ मात्र एक रातिक खिस्सा अछि| अपने लोकनि कें मोन होयत बासु चटर्जीक 1986 मे प्रदर्शित फिल्म “एक रुका हुआ फैसला”| मात्र एक्केटा घर मे शूट भेल ई फिल्म सेहो मात्र भरि दिनक खिस्सा छल| लगभग तहिना एक्के टेबुल पर एहियो फ़िल्मक फिल्मांकन भेल अछि| घुरैत छी फिल्मक कथा दिस, हीरो स्टेशन मास्टरक चैम्बर मे पहुँचैत अछि आ ओतय सामान्य गपशपक बाद शुरू होइत अछि साहित्यिक चर्चा| विद्यापति-विमर्श| एतय इहो अकानबाक विषय थिक जे निर्देशक बहुत कुशलताक संग मिथिलाक सभ आयाम समटबाक प्रयास केलनि अछि| जेना की जलखई हेतु तरुआ आ तरुआक अन्य सरंजाम आ प्रकार| विद्यापतिक साहित्य पर चर्च शुरू होइत अछि आ ओम्हर तेसर पात्रक एंट्री होइत अछि| तेसर पात्रक अबितहि फिल्मक स्क्रीन थोड़ेक भयाबह होबय लगैत अछि| एकर कारण अछि एहि तेसर पात्रक स्पंदनरहित डायलॉग डिलीवरी, हास्यक संग भय, ई विशेषता अछि एहि पात्रक| थोड़ेक कालक अन्यान्य घटनाक बाद एंट्री होइत छनि विद्यापति, यात्री जी आ कविश्वर चंदा झाक, हालाँकि ई ड्रीम सिकुएंस अछि मुदा प्रायः ई मैथिली फिल्मक पहिल घटना अछि जाहि मे तीन पीढ़ीक साहित्यकार कें एक संग अनबाक कांसेप्ट आयल अछि| हालांकि रंगमंच मे ई कांसेप्ट बहुत पहिने आयल छल| उषाकिरण खानक नाटक “कहाँ गए मेरे उगना”, मैथिलीक अविस्मरनीय नाटक ‘बिहुंसैत इजोत’ आ अन्य सभ मे|
हमरा मोन पड़ैत अछि सीरियल किलिंग पर रामगोपाल वर्माक एकटा फिल्म आयल छल ‘कौन’| से एकटा सीरियल किलर एहियो फिल्म मे छथि| मुदा ई किलर खास आ समसामयिक बोध लेने छथि| कियैक त’ ई अपन शिकारक संग अतिथि देवो भवः बला भाव मे प्रस्तुत होइत छथि| बेर-बेर सेनिटाईजरक प्रयोग दर्शक कें भ्रम मे रखैत अछि| मोन मे होइत अछि अछि जे सेनिटाईजर मे किछु मिलायल हेतैक आ एहि सं किछु दुर्घटना हेतैक| एतय कैमराक एंगल दर्शनीय अछि| एहन तरहक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर फिल्म मे एकटा प्रमुख चैलेंज रहैत अछि दर्शक कें केन्द्रित क’ क’ राखब| एक्के टा सेट मे बहुत कम उपलब्ध स्पेस रहैत अछि आ मुश्किल होइत अछि दर्शकक आँखि कें पूरा स्क्रीन पर रमनगर बना क’ राखब| निर्देशकीय कौशल एतहि भकरार भ’ क’ सोझां आयल अछि|
फिल्म आगू बढैत अछि अपन स्वाभाविक स्टोरी संगे मुदा अंत नहि होइत अछि| कट्प्पा को किसने मारा बला फोर्मेट मे एहि फिल्मक अंत मे की होइत अछि से यदि बुझबाक अछि त’ ई फिल्म देखी आ मैथिली सिनेमा कें संबर्धित करी|
मुख्य रूप सं फिल्म मे तीन टा अभिनेता छथि, स्टेशन मास्टर रामबहादुर रेणु, हेल्फर दुर्गेश कुमार आ हीरो निश्छल अभिषेक| तीनू अभिनेताक अपन-अपन करैक्टरक न्याय कयने छथि| संदेहास्पद हंसी सं स्टेशन मास्टर भय बनबैत छथि त’ दुर्गेश बहुत ठाम बिनु बजने बहुत किछु बाजि दैत छथि मात्र घेंट ठेढ़ क’ क’| ओतहि निश्छल अभिषेक अपन डायलॉग डिलीवरी आ भाषाई शुद्ध उच्चारण सं प्रभावित करैत छथि| एकटा बात जे ध्यान देबा जोग अछि जे मैथिली भाषा पर एकटा खास वर्गक भाषा होयबाक आरोप लगैत रहल अछि मुदा एहि फिल्म मे सब तरहक मैथिली प्रयोग क’ निर्देशक एहि मिथक कें तोड़ैत छथि|
पात्र चयन, डायलॉग डीलिवेरी, बेकग्राउंड स्कोर, सेट डिजाइन, लाइट आ कैमराक समुचित आ सार्थक प्रयोग फिल्म कें सफल बनबैत अछि मुदा एकटा बात कहबा जोग अछि जे फिल्म थोड़ेक भखरैत अछि गतिक स्तर पर, इंटरवल सं पहिने| एहि भखरब कें थोड़ेक कसल जा सकैत छल| फिल्मक अंत मे एकटा रैप गीत अबैत अछि जे की नव स्वादक सुनबा योग्य गीत अछि| कंटेंटक स्तर पर फिल्म बढियां अछि तैं एक बेर त’ अवश्ये देखल जयबाक चाही|
फिल्म मे किछु डायलॉग एहन अछि जे अहाँ सभक ठोर पर चढ़ि जायत| जेना कि –
“करिया चश्मा कियैक पहिरने छही रे ? पिंटू कहलक नीक लगै हइ!”,
“बेनीपट्टी बला मनमोहन मिसर कें चारि गो सोना बला दांत लागल रहै,
चारू सोना बला दांत अहीं राखी लेली, मुँह चियारि क’ हमहीं निकालने रहियैक दांत”,
“जल्दी-जल्दी तरुआ बनि गेल, कम अहि की?,
“मास्टर साहेब सोम आ ब्रहस्पति कें विद्यापति पर चर्च करैत छथि, आइ शुक्र छैक”, आदि-आदि|
– गुंजन श्री